Description
वीर सावरकर हिंदू समाज को एक सभ्यता के रूप में देखने वाले पहले विद्वानों में से एक थे। वीर सावरकर ने देखा कि हिंदू समाज की जाति व्यवस्था कठोर होती जा रही है, इसके कारण भेदभाव बढ़ रहा है और अब्राहमिक धर्म हिंदुओं के बीच इस जाति विभाजन का फायदा उठा रहे हैं। वीर सावरकर ने इस समस्या पर अपने विचारों , लेखनी और सामाजिक कार्यक्रमों से प्रहार किया।
वीर सावरकर ने भारतीय सभ्यता की हर जाति और संप्रदाय को स्वीकारा और सम्मान किया, लेकिन उन्होंने जाति समस्या में छुआछूत और भेदभाव के खिलाफ अपने विचार व्यक्त करके इस जाति व्यवस्था की विभाजनकारी समस्याओं के बारे में जागरूकता फैलाई।
इस पुस्तक में, आपको सावरकर द्वारा लिखे गए निबंधों का संकलन मिलेगा, जो उन्होंने हिंदुओं के बीच जाति के मुद्दे को खत्म करने के लिए लिखे थे।
हर पंथ, जाति और संप्रदाय के व्यक्ति को यह पुस्तक जरूर पढ़नी चाहिए !