हिंदू तथा हिंदुस्थान- ये विदेशियों द्वारा हमें दिए गए नाम हैं, ऐसा सोचकर इन नामों पर जो आक्षेप किए जाते हैं, उनका खंडन कुछ अप्रिय ऐतिहासिक प्रमाण प्रस्तुत करने से किया जाना बहुत सहज है। परंतु आक्षेप करनेवालों के मन में भय रहने के कारण ही ऐसा किया जाता है। वे लोग सोचते हैं कि यदि उन्होंने इस नाम को स्वीकार किया, तो हिंदू धर्म इस नाम से जिन आचारों-विचारों का बोध होता है,वे सभी उन्हें स्वीकार्य हैं, ऐसा माना जाएगा। हिंदू कहलाने वाला प्रत्येक व्यक्ति तथाकथित हिंदू धर्म पर विश्वास करता होगा, इसी भय के कारण (यह भय स्पष्ट रूप से कभी प्रकट नहीं किया जाता) ये नाम पराए लोगों द्वारा नहीं दिए गए हैं। इस वास्तविकता को वे स्वीकार नहीं करते। इस प्रकार का भय सर्वथा काल्पनिक नहीं होता है। परंतु जो स्वयं को हिंदू नहीं कहलाना चाहते, उन लोगों को इस भय को स्पष्ट शब्दों में प्रकट करना चाहिए। संभ्रम उत्पन्न करनेवाले आक्षेपों में इसे छिपाने का प्रयास नहीं करना चाहिए। इससे आपके विचार अधिक स्पष्ट हो जाएँगे। हिंदुत्व तथा हिंदू धर्म- इन शब्दों में दिखाई देनेवाली समानता के कारण हम लोगों के अच्छे-अच्छे विद्वान् हिंदू बांधवों के मन में भी अलगाववादी भावनाएँ उत्पन्न होती हैं। इन दो शब्दों का मूलभूत भेद हम शीघ्र ही स्पष्ट करनेवाले हैं। यहाँ एक बात स्पष्ट रूप से कहनी होगी कि विदेशियों द्वारा जिस शब्द का प्रयोग किया जाता है, वह शब्द है ‘हिंदुइजम’ (हिंदू धर्म इस अर्थ से), परंतु इस संबोधन के कारण हम लोगों के विचारों में गड़बड़ी उत्पन्न होने का कोई कारण नहीं दिखाई देता। स्वतंत्र धर्म ग्रंथ के रूप में वेदों को भी न माननेवाला व्यक्ति भी पूर्णत: हिंदू हो सकता है। जैन लोगों का उदाहरण इस बात का पर्याप्त प्रमाण है। ये जैन बांधव पीढ़ी-दर पीढ़ी स्वयं को हिंदू कहलाते हैं तथा दूसरे किसी भी नाम से संबोधित किए जाने पर उनकी भावनाओं को दुःख पहुँचता है। यह बात केवल एक वास्तविकता होने के कारण यहाँ प्रस्तुत की गई है। इस विषय की संपूर्ण छानबीन करने के पश्चात् हमारे कथन का निष्कर्ष क्या है, इसे ज्ञात करते समय किसी प्रकार का पूर्वग्रहदूषित भय नहीं होना चाहिए। अभी तक के विवेचन में हमने किसी एक विशिष्टइज्म का (धर्म) का विचार नहीं किया है। केवल हिंदुत्व और उसके राष्ट्रीय, जातीय तथा सांस्कृतिक अंगों का विचार हमारे ही विवेचन का प्रमुख विषय था।
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Jayostute Poem with Hindi and English translation
जयोस्तुते श्रीमहन्मंगले ! शिवास्पदे शुभदे
स्वतंत्रते भगवती ! त्वामहं यशोयुतां वंदे
राष्ट्राचे चैतन्य मूर्त तू नीती-संपदांची
स्वतंत्रते भगवती ! श्रीमती राज्ञी तू त्यांची
परवशतेच्या नभात तूची आकाशी होसी
स्वतंत्रते...