Ne Majhsi Ne Poem’s Hindi and English translation

Ne majhsi ne poem hindi and english translation

ने मजसी ने परत मातृभूमीला । सागरा, प्राण तळमळला

भूमातेच्या चरणतला तुज धूतां । मीं नित्य पाहिला होता
मज वदलासी अन्य देशिं चल जाऊ । सृष्टिची विविधता पाहू
तइं जननी-हृद् विरहशंकितहि झालें । परि तुवां वचन तिज दिधलें
मार्गज्ञ स्वयें मीच पृष्टि वाहीन । त्वरित या परत आणीन
विश्वसलो या तव वचनी । मी
जगदनुभव-योगे बनुनी । मी
तव अधिक शक्त उद्धरणी । मी
येईन त्वरें कथुन सोडिलें तिजला । सागरा, प्राण तळमळला

Hindi

ओ सागर, मुझे मेरी मातृभूमि ले चल ! मेरी आत्मा कितने कष्ट में है!
अपनी माँ के चरणों की उपासना में, मैंने सदा तुझे देखा है
चल अन्य भूमियों पर चलें, सृष्टि की विविधता पाएं
अपनी माँ के हृदय को शोक में देख, तुमने उन्हें एक पवित्र वचन दिया
अपनी पीठ पर मेरी वापसी की यात्रा, तुमने उनसे वचन दिया मेरे शीघ्र लौटने का
क्या तुम्हारे वचन पर विश्वास किया मैंने !
ऐसा दुनियादार समर्थ बना मैं
उनकी मुक्ति का वाहक बनूं मैं
वापस लौटने की कह कर, मैं उससे दूर हुआ
ओ सागर, मेरी आत्मा कितने कष्ट में है!

English

Oh Ocean, take me back to my Motherland!
My soul in so much torment be!
Lapping worshipfully at my mother’s feet
So always I saw you
Let us visit other Lands to see
The abounding nature, said you.
Seeing my Mother’s heart full of qualms
A sacred oath you did give to her,
Knowing the way home, upon your back
My speedy return you promised her.
Fell for your promise did I!
That worldly-wise n’ able be I
Her deliverance better serve do I

Upon returning, so saying I left her.
Oh Ocean, my soul in so much torment be!


शुक पंजरिं वा हरिण शिरावा पाशीं । ही फसगत झाली तैशी
भूविरह कसा सतत साहु यापुढती । दशदिशा तमोमय होती
गुण-सुमनें मी वेचियली या भावें । कीं तिने सुगंधा घ्यावें
जरि उद्धरणी व्यय न तिच्या हो साचा । हा व्यर्थ भार विद्येचा
ती आम्रवृक्षवत्सलता । रे
नवकुसुमयुता त्या सुलता । रे
तो बाल गुलाबही आता । रे
फुलबाग मला हाय पारखा झाला । सागरा, प्राण तळमळला

Hindi

पिंजरे में बंद पक्षी की तरह, जाल में फंसे हिरण की तरह – ओ, मैं कैसा छला गया
सदा के लिए अपनी माँ से दूर, तिमिर से घिरा हुआ मैं सद्कार्यों के फूल चुने मैंने, जिनकी सुगंध से वह महक उठी,
उसकी मुक्ति के कार्य के प्रति उद्विग्न, मेरा ज्ञान व्यर्थ बोझ बना है,
उसके आमृवक्षों की वत्सलता, रे!
उसकी अंगूर लताओं का सौंदर्य, रे!
उसके सुमधुर गुलाब, रे!
ओह, सदा के लिए दूर हो गए उसके उद्यान मुझसे,
ओ सागर, मेरी आत्मा कितने कष्ट में है!

English

Like a parrot in a cage, like a deer in a trap—
Oh so duped am I
Parting from my mother for ever—
Besieged by darkness am I!
Flowers of virtue gather did I
That blessed by their fragrance she be.
Bereft from service for her deliverance
My learning a futile burden it be,
The love of her mango trees, oh!
The beauty of her blossoming vines, oh! Her tender budding rose, oh!
Oh forever lost is her garden to me,
Oh Ocean, my soul in so much torment be!


नभिं नक्षत्रें बहुत एक परि प्यारा । मज भरतभूमिचा तारा
प्रासाद इथे भव्य परि मज भारी । आईची झोपडी प्यारी
तिजवीण नको राज्य, मज प्रिय साचा । वनवास तिच्या जरि वनिंच्या
भुलविणें व्यर्थ हें आता । रे
बहु जिवलग गमतें चित्ता । रे
तुज सरित्पते ! जी सरिता । रे
त्वद्विरहाची शपथ घालितो तुजला । सागरा, प्राण तळमळला

Hindi

गगन में कितने तारे हैं, परंतु केवल भारत-भूमि का सितारा प्रिय है मुझे !
यहां हैं भव्य प्रासाद न्यारे, परंतु अपनी माँ की झोपड़ी प्यारी है मुझे
उसके बिना किसी राज्य की मुझे क्या इच्छा, उसके वनों में सदा वास होगा मेरा।
अब धोखा व्यर्थ है , कहता हूँ मैं
अब तुम भी न त्याग जाओ , शपथ लेता हूँ मैं
अब तुम भी न यातना झेलो,
रोता हूँ मैं अपनी प्रिय नदियों से बिछड़कर !
ओ सागर, मेरी आत्मा कितने कष्ट में है!

English

Stars abound in the heavens above, but
Only the star of Bharat-land love I
Here are found plush palaces, but
Only my mother’s humble hut love I
What care I for a kingdom without Her?
Ever exile in her forests choose I.
Deception is futile now, say I
Let you not be spared, vow I
Suffer the same pangs, cry I
Of parting with the dearest of your rivers!
Oh Ocean, my soul in so much torment be!


या फेन-मिषें हससि निर्दया कैसा । का वचन भंगिसी ऐसा?
त्वत्स्वामित्वा सांप्रत जी मिरवीते । भिउनि का आंग्लभूमीतें
मन्मातेला अबल म्हणुनि फसवीसी । मज विवासनातें देशी
तरि आंग्लभूमी-भयभीता । रे
अबला न माझिही माता । रे
कथिल हें अगस्तिस आता । रे
जो आचमनी एक क्षणीं तुज प्याला । सागरा, प्राण तळमळला

Hindi

ओ, फेनिल लहरों के वाहक, निर्दयता से तुम हंसे !
अपने वचन से क्यों पलटे, ओ !
मेरी असहाय माँ को क्यों छला,
ओ, मुझे निष्कासित क्यों किया !
क्या आंग्लभूमि से भयभीत थे
जो तुम पर इतना अधिकार रखती है?
भयावह होगी आंग्लभूमि तो भी, ओ
मेरी माँ दुर्बल नहीं फिर भी
बताएगी ऋषि अगस्त्य के बारे में, तो
जिनने एक ही घूंट में तुम्हारा सब जल पीया था !
ओ सागर, मेरी आत्मा कितने कष्ट में है !

English

Oh Ye of Foaming Surf, pitilessly you mock!
Why go back on your word, oh!
Why deceive my helpless mother,
Oh why condemn me to exile so!
Was it in fear of England
Who flaunts her mastery over you so?
Fearsome though England may be,
O My Mother is not feeble so
Tell all about Sage Agastya she will, lo
Who in one gulp your waters drank!
Oh Ocean, my soul in so much torment be!


Source : Savarkar (Part 1): Echoes from a Forgotten Past, 1883–1924 

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