Wednesday, March 15, 2023
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Monthly Archives: May 2021

Veer Savarkar’s Urdu Gazals | वीर सावरकर की उर्दू ग़ज़लें

हिंदोस्ताँ मेरा यही पाओगे मेहशरमें जबां मेरी, बयाँ मेरा मैं बंदा हिंदवाला हूँ, यह हिंदोस्ताँ मेरा मैं हिंदोस्ताँ के उजडे खंडहर का एक जरां हूँ यही सारा पता...

जैन-बौद्धों की अहिंसा गांधीजी की अहिंसा से भिन्न है ! – वीर सावरकर

बौद्धधर्म या जैनधर्म द्वारा प्रतिपादित अहिंसाधर्म, गांधीजी द्वारा प्रतिपादित उस आत्यन्तिक अहिंसाधर्म के सर्वथा विरुद्ध है। जो  सभी प्रकार की परिस्थितियों में सशस्त्र प्रतिकार...

किसे हिन्दू कहें और किसे अहिन्दू ? – वीर सावरकर

जो लोग श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त को प्रमाण मानते हैं वे 'सनातनी' कहलाते हैं । जो केवल श्रुति को ही प्रमाण मानते हैं वे 'वैदिक' कहलाते हैं...

पितृभू एवं पुण्यभू की परिभाषा – वीर सावरकर

'पितृभू' अर्थात् केवल वह भूमि नहीं जहाँ अपने माता-पिता का जन्म हुआ हो, 'पितृभू' तो उस भूमि को कहा जाता है कि जिसमें प्राचीन...

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ने मजसी ने परत मातृभूमीला । सागरा, प्राण तळमळला भूमातेच्या चरणतला तुज धूतां । मीं नित्य पाहिला होता मज वदलासी अन्य देशिं चल जाऊ । सृष्टिची...