कुछ लोगों का अनुमान है कि हिंदू-राष्ट्र की कल्पना मुसलमान तथा ईसाई नागरिकों के अस्तित्व के लिए चुनौती है, वे निकाल बाहर किए जाएंगे तथा उनका उन्मूलन हो जाएगा। हमारी राष्ट्रीय भावना के लिए इससे अधिक मूर्खतापूर्ण अथवा घातक और कुछ नहीं हो सकता। यह तो हमारे महान एवं सर्वग्राही सांस्कृतिक दाय का अपमान है।
उदाहरण के लिए, क्या हम शिवाजी के नेतृत्व में हुए सबसे अंतिम शक्तिशाली हिंदू पुनरुत्थान के विषय में नहीं जानते कि उनकी सेना के अधिकारियों में एक रणादुल्ला खां था ?
उसके भी बाद के समय में सन् १७६१ के पानीपत युद्ध में, जो हिंदू- (-स्वराज्य के उत्थान के लिए एक जीवन-मरण का संघर्ष था, तोपखाने का प्रमुख इब्राहिम गार्दी था। हमारे सामने इस प्रकार की अति स्पष्ट ऐतिहासिक साक्ष्य तथा सहस्रों वर्षों की राष्ट्रीय परंपराएं होते हुए भी यह कहना कितना विचित्र है कि यदि हिंदू-राष्ट्र अपनी स्वाभाविक अवस्था को प्राप्त हो गया तो अहिंदुओं के लिए संकट उत्पन्न हो जाएगा।
– माधव राव सदाशिव राव गोलवलकर