★ लंदन का लक्ष्य

• सावरकर के नेतृत्व में इंडिया हॉउस, लंदन क्रन्तिकारी मुख्यालय बन गया। अभिनव भारत ने यहां ताकत एकत्र की और उनहोंने सभी सार्वजनिक कार्यक्रमों जैसे की नियमित बैठकें, त्योहारों का उत्सव और भारतीय नायकों की महिमा आदि को पूरा करने के लिए फ्री इंडिया सोसाइटी के स्थापना की।
• उन्होंने “सिपाही विद्रोह” को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम दिया। १० मई १९०७ को उन्होंने अपनी स्वर्ण जयंती मनाई। उनके भाषण “ओह शहीदों” ने सभी को हिला दिया। तभी से ब्रिटिश पुलिस उस पर चौकस नजर रखती थी।
★ सावरकर के लंदन में लक्ष्य :
१) भारतीय छात्रों में राष्ट्रिय गौरव और देशभक्ति की भावना जागृत करना।
२) भारतीय सेना में देशभक्ति की उत्तेजना।
३) अन्य देशों (आयरलैंड, मिस्र, तुर्की आदि) के क्रांतिकारियों के साथ संबंध बनाना।
४) एक क्रांति के लिए व्यावहारिक व्यवस्था करना (हथियारों की खरीद, बम बनाने के निर्देश)
५) क्रांति में इसे दरकिनार करने के लिए ब्रिटिश क़ानून का अध्ययन।
६) देशभक्ति और प्रेरक किताबें लिखना।
• सावरकर इन तीन वर्षों में उन लक्ष्यों को पूरा करने में सफल रहे जो उनके पास थे, लेकिन ऐसा करने के लिए उन्हें ब्रिटिश राज के तहत आना पड़ा।